“प्रभु का प्रेम हम सब के लिए उपलब्ध है, चाहे हमने कुछ भी किया हो। शर्तरहित प्रेम सभी को स्वीकार करता है।”

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

ध्यानाभ्यास के द्वारा हम अपनी आत्मा की शक्ति के साथ जुड़ सकते हैं। ज़्यादातर लोग इसकी शक्ति को महसूस किए बिना ही जीते रहते हैं। सभी ख़ज़ाने, जैसे ज्ञान, प्रेम, निर्भयता, संबद्धता, और परमानंद, हमारे भीतर ही गहराई में दबे पड़े हैं।

साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी
अंतर्राष्ट्रीय ध्यानाभ्यास केंद्र

लाइल, इलिनोई, यू.एस.ए., में स्थित सांइस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी अंतर्राष्ट्रीय ध्यानाभ्यास केंद्र हमारे संगठन का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय है। यह एक ऐसा शांत स्थान है जहाँ आकर हम ध्यानाभ्यास कर सकते हैं और जीवन के सच्चे उद्देश्य को पाने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

अध्यात्म केवल हमारे अपने आंतरिक विकास से ही संबंधित नहीं है।
यह तो एक जीवनशैली है जिसमें हम सृष्टि के अन्य जीवों के लिए भी
प्रेम और करुणा का भाव रखते हैं।

—संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

“प्रभु का प्रेम हम सब के लिए उपलब्ध है, चाहे हमने कुछ भी किया हो। शर्तरहित प्रेम सभी को स्वीकार करता है।”

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज

ध्यानाभ्यास के द्वारा हम अपनी आत्मा की शक्ति के साथ जुड़ सकते हैं। ज़्यादातर लोग इसकी शक्ति को महसूस किए बिना ही जीते रहते हैं। सभी ख़ज़ाने, जैसे ज्ञान, प्रेम, निर्भयता, संबद्धता, और परमानंद, हमारे भीतर ही गहराई में दबे पड़े हैं।
साइंस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी
अंतर्राष्ट्रीय ध्यानाभ्यास केंद्र

लाइल, इलिनोई, यू.एस.ए., में स्थित सांइस ऑफ़ स्पिरिच्युएलिटी अंतर्राष्ट्रीय ध्यानाभ्यास केंद्र हमारे संगठन का अंतर्राष्ट्रीय मुख्यालय है। यह एक ऐसा शांत स्थान है जहाँ आकर हम ध्यानाभ्यास कर सकते हैं और जीवन के सच्चे उद्देश्य को पाने की ओर कदम बढ़ा सकते हैं।

जब हम पानी में एक कंकड़ फेंकते हैं, तो उसकी लहरें दूर तक जाती हैं। इसी तरह, क्रोध का असर विचार आने के बहुत देर बाद तक फैलता रहता है। वो कई सालों बाद भी हम तक वापस आ सकता है।
आध्यात्मिक
विकास
आध्यात्मिक
मार्गदर्शक के लाभ
ध्यानाभ्यास
के अन्य लाभ
स्वस्थ
जीवनशैली

ध्यानाभ्यास द्वारा जीवन में परिवर्तन

जब हम ध्यानाभ्यास करते हैं, तो हमें स्वयं अपनी क्षमता का एहसास होने लगता है। हम अपने अंदर एक गहरा परिवर्तन महसूस करते हैं, जो हमारे जीवन के सभी पहलुओं को समृद्ध कर देता है। इससे हमारे जीवन में शांति और ख़ुशी का संचार होता है, तथा हम विश्व को भी शांति और प्रेम से भरपूर करने में योगदान दे पाते हैं।

आध्यात्मिक वसंत के लिए साफ़-सफ़ाई
इस लेख में, संत राजिन्दर सिंह जी हमें कुछ व्यावहारिक सुझाव दे रहे हैं कि हम कैसे इस मौसम का सर्वोत्तम लाभ उठाते हुए अपने मन और हृदय की साफ़-सफ़ाई कर सकते हैं। पढ़ने के लिए चित्र पर क्लिक करें।
असफलता के प्रति स्वस्थ्य रवैया
लक्ष्य-प्राप्ति के लिए समय का सही इस्तेमाल
God is Unfathomable

समाचार

@संत राजिन्दर सिंह जी महाराज
 
वसंत की आध्यात्मिक साफ़-सफ़ाई

वसंत की आध्यात्मिक साफ़-सफ़ाई

आज संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने स्प्रिंग क्लीनिंग (वसंत की सफ़ाई)  के बारे में बात की, और ये बताया कि इस साधारण से घरेलू कार्य से हम क्या आध्यात्मिक सबक सीख सकते हैं। लंबी सर्दियों के बाद जिस तरह हमारे भौतिक घरों को साफ़ करना ज़रूरी है, उसी तरह यह भी ज़रूरी है कि हम अपने सच्चे स्वरूप की, अपनी आत्मा की, सफ़ाई करें। हमारी आत्मा, जोकि परमात्मा का अंश है, अनेकों युगों से प्रभु से बिछुड़ चुकी है। इस दौरान हमारे अनगिनत विचारों, शब्दों, और कार्यों के ज़रिये हमारी आत्मा पर बहुत मैल और गंदगी जमा हो गई है, और वो इन पर्तों के नीचे दब गई है, जिसकी वजह से हम अपनी आत्मा के असली शुद्ध स्वरूप का अनुभव नहीं कर पाते हैं। उस उद्देश्य को पूरा करने के लिए जिसके लिए हमें ये मानव चोला दिया गया है, हमें अपनी आत्मा का अनुभव करना होगा, और इसके लिए पहला कदम है अपनी आत्मा की सफ़ाई करना। ये सफ़ाई करने के लिए हमें कुछ कदम उठाने होंगे।

सबसे पहले, एक नैतिक जीवन जीकर हमें मज़बूत नींव बनानी होगा, उन चीज़ों को निकाल फेंकना होगा जो हमारे लिए फ़ायदेमंद नहीं हैं, और प्रेम, करुणा, अहिंसा, नम्रता, सच्चाई, और निष्काम सेवा के सद्गुणों से ज़मीन को जोतना होगा। इससे हम प्रभु की ओर शुरुआती कदम बढ़ा सकते हैं। एक मज़बूत नींव बना लेने के बाद, हमें अपने ध्यान को प्रभु की ओर लगाना सीखना चाहिए। ऐसा तब होता है जब हम ध्यान-अभ्यास करते हैं। हमें रोज़ाना नियमित रूप से ध्यान-अभ्यास करना चाहिए, ताकि हम प्रभु के पास वापस जाने वाली यात्रा पर तरक्की कर सकें।

जिस तरह हम अपने घर में बेकार पड़ी चीज़ों को फेंक देते हैं या उन्हें दान में दे देते हैं, उसी तरह हमें उस सब मोह को हटा देना चाहिए जो हमारी आत्मा को आंतरिक यात्रा पर जाने से रोकते हैं। ये मोह उन चीज़ों या रिश्ते-नातों से हो सकता है जो अगर हमसे दूर हो जायें तो बहुत दर्द देते हैं, या उन चीज़ों से हो सकता है जिन्हें हम पाना चाहते हैं और उनके पीछे भागने से हमें दर्द मिलता है। ऐसे मोह हमारे ध्यान को बाहरी संसार में लगाए रखते हैं। जब हम ध्यान-अभ्यास के ज़रिये ख़ुद को प्रभु से जोड़ लेते हैं, तो इन बंधनों को तोड़ना आसान हो जाता है।

हम में से हरेक व्यक्ति प्रभु के पास जाने के लायक़ है। सवाल केवल ये है कि हम प्रभु के साथ होने को कितना महत्त्व देते हैं, हमारे अंदर प्रभु को पाने की कितनी लगन है, और हम अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए कितने समर्पित हैं। हमें सद्गुणों की नींव को मज़बूत करना है, ध्यान-अभ्यास में नियमित होना है, और ये सुनिश्चित करना है कि हमारा ध्यान सही तरीके से टिका रहे, ताकि हम आंतरिक मंडलों में उड़ान भर सकें और प्रभु की उस दिव्य ज्योति व प्रेम का अनुभव कर सकें जो अंतर में हमारी प्रतीक्षा कर रही है।

 
प्रभु को जानने से हमें कोई चीज़ रोक नहीं सकती

प्रभु को जानने से हमें कोई चीज़ रोक नहीं सकती

ज़्यूरिख़, स्विट्ज़रलैंड, और दिल्ली, भारत, की यात्राओं से वापस आकर संत राजिन्दर सिंह जी महाराज ने आज लाइल, इलिनोई, के एस.ओ.एस. इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर में श्रोताओं को सम्बोधित किया। मुख्य हॉल में मंच पर आसीन होकर महाराज जी ने वापस आने पर ख़ुशी ज़ाहिर की। अपनी यात्राओं के बारे में विस्तार से बताते हुए, महाराज जी ने पूरे विश्व में अध्यात्म के लिए बढ़ती रूचि का उल्लेख किया। महाराज जी विश्व में कहीं भी जायें, सभी आयुवर्गों और पृष्ठभूमियों के लोग बढ़ती हुई संख्या में उनके सत्संगों में आते हैं। इसके बाद, संत राजिन्दर सिंह जी ने श्रोताओं के कुछ आध्यात्मिक प्रश्नों के उत्तर प्रदान किए।

एक सवाल में पूछा गया था कि क्या हमारे शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक स्वास्थ्य का असर हमारे आत्मिक स्वास्थ्य पर पड़ता है। संत राजिन्दर सिंह जी ने समझाया कि हमारे जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू है हमारी आत्मा का प्रभु के प्रेम व प्रकाश के साथ जुड़ना। चाहे हम शारीरिक रूप से बीमार हों, भावनात्मक रूप से तकलीफ़ में हों, या मानसिक रूप से परेशान हों, अगर हम प्रभु के प्रेम के साथ जुड़ेंगे, तो बाकी सबकुछ ठीक हो जाएगा। ये जानना भी महत्त्वपूर्ण है कि ये जीवन हमें इसीलिए दिया गया है कि हम इस संसार में जीते हुए, और अपनी सांसारिक ज़िम्मेदारियों को निभाते हुए, प्रभु को जान सकें। इस काम में एक स्वस्थ शरीर, मन, और दिमाग़ हमारी मदद करते हैं। इसीलिए ये ज़रूरी है कि हम अपने मुख्य उद्देश्य पर ध्यान केंद्रित रखे हुए इन क्षेत्रों में भी श्रेष्ठ होने की कोशिश करें।

एक ताक़तवर शरीर, प्रेमपूर्ण रिश्ते-नाते, या तेज़ दिमाग़ हमें प्रभु का अनुभव नहीं करा सकते हैं। इसी तरह, ख़राब शारीरिक स्वास्थ्य, दुखी भावनाएँ, या कमज़ोर बुद्धि हमें आध्यात्मिक मार्ग पर बढ़ने से रोक नहीं सकती। प्रभु के मार्ग पर बढ़ने के लिए जो एकमात्र बाधा है, वो है प्रभु को जानने की सच्ची जिज्ञासा न होना। एक बार जब हम इस मानव चोले में आ जाते हैं, तो हमें प्रभु को जानने से कोई चीज़ रोक नहीं सकती है, महाराज जी ने फ़र्माया। अगर हमें जीवन का असली उद्देश्य समझ में आ गया है, अगर हमारे अंदर प्रभु को जानने की सच्ची जिज्ञासा है, और हम रोज़ाना प्रभु के प्रेम व प्रकाश के साथ जुड़ने के लिए समय निकालते हैं, तो हमें कोई चीज़ रोक नहीं सकती है। हम प्रभु को पाने की यात्रा पर सफलता अवश्य पा लेते हैं।

संत राजिन्दर सिंह जी महाराज लाइल  के एस.ओ.एस. सेंटर में 14 मई तक सत्संग करेंगे और फिर विश्व यात्रा पर प्रस्थान करेंगे।

 

अपने ध्यानाभ्यास के समय को धीरे-धीरे बढ़ायें

दुनिया भर में लाखों लोग अवसाद से पीड़ित हैं। इससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों प्रभावित होते हैं। स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा उपचार के साथ-साथ, ध्यान से अवसाद के प्रभावों को कम करने में मदद करने के लिए ध्यानाभ्यास के अतिरिक्त लाभ मिलते हैं। किन तरीकों से ध्यान अवसाद से निपटने में मदद करता है?

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अपना उपचार करना और विश्व का उपचार करना

यदि हम अपने ग्रह का उपचार करना चाहते हैं, तो हमें ख़ुद अपना उपचार करने से शुरुआत करनी होगी। हम हफ़्तों, सालों, या जीवन भर में भी किसी अन्य व्यक्ति को बदल नहीं सकते, लेकिन हम ख़ुद को फ़ौरन बदल सकते हैं। यदि हरेक व्यक्ति ख़ुद को बदलने का प्रयास करे, तो उसका संयुक्त प्रभाव बहुत ही महान् होगा।
अगर हरेक व्यक्ति अपना उपचार कर ले, तो उसे मिलने वाले लाभों को देखकर दूसरों को भी ऐसा ही करने की प्रेरणा मिलेगी। एक लहर की तरह, इसका प्रभाव फैलता ही जाएगा, और धीरे-धीरे पूरे विश्व में छा जाएगा। तो आइए हम शुरुआत करते हुए देखें कि किन-किन तरीकों से हम अपना उपचार कर सकते हैं। अपना उपचार करने से, हम पूरे विश्व के उपचार में अपना योगदान देंगे।

 

आध्यात्मिक वसंत की साफ़-सफ़ाई

जब हम अपने विचारों को साफ़ करने की ओर ध्यान देते हैं, तो हमें देखना होता है कि हम अपने कौन-कौन से पहलुओं की सफ़ाई करना चाहते हैं। हमें यह समझना होता है कि हमारे मन और हृदय में कौन-कौन सी चीज़ें ग़ैर-ज़रूरी हैं और हमें प्रभु के प्रेम को अनुभव करने से रोक रही हैं।

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लगावों को त्यागना

एक रोचक कहानी की मदद से हम जान पाते हैं कि कैसे हम अपनी इच्छाओं और दैनिक गतिविधियों के गुलाम बन जाते हैं, और इस प्रक्रिया में अपने जीवन के सच्चे उद्देश्य को पाने के लिए समय ही नहीं निकाल पाते।

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कम इस्तेमाल होने वाली राह चुनें

हमारी दौलत, हमारा करियर, हमारा सांसारिक ज्ञान, हमारे रिश्ते, हमारी कला, सब कुछ पीछे रह जाता है जब हमारा भौतिक शरीर ख़त्म हो जाता है। तो फिर हम कौन सी ऐसी राह पर चल सकते हैं जो अनंत है, जो हमारे शरीर की समाप्ति के बाद भी बनी रहती है, और जो हमें प्रभु की ओर ले जाती है? इसका जवाब है अध्यात्म। सार्वभौमिक प्रेम की राह हमें प्रभु की ओर ले जाती है, जहाँ हम वो प्रेम पा लेते हैं जो सदा-सदा के लिए कायम रहता है।

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